व्यथा... मै हूं साधारण इंसान फिर भी है मेरी पहचान अपनी समझ - बूझ से चला लेता हूं अपना खानदान। मजदूर हूं पर लाचार नहीं खुद्दार हूं वफादार हूं मेहनत से कमाता अपनी रोजी रोटी नहीं नोचता किसी और की बोटी। बड़े लोग बड़ी बातें आते करते चले जाते। कोई ना लेता सुध बुध बस कहते साले ऐसे ही मरेंगे। क्या कसूर है मेरा क्या जीना हक नहीं मेरा लोग तमाशा करते है पर सच्चाई से मुकरते है। व्यथा #collablabour