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अहिंसा छन्द  212   122  2 राम नाम बोता जा । पार घ

अहिंसा छन्द 
212   122  2

राम नाम बोता जा ।
पार घाट होता जा ।।
जन्म मृत्यु के धागे ।
भाग्य आपके जागे ।।१

लेख भाग्य होता है ।
कौन आज रोता है ।।
झूठ मोह माया है ।
देख धूल काया है ।।२

खेल क्यों रचाया है ।
प्रीति आज माया है ।।
दास जो बनेगा तू ।
दुष्ट से जलेगा तू ।।३

श्याम का सहारा है ।
राम भी हमारा है ।।
पार वो उतारा है ।
कष्ट जो निवारा है ।।४








२२/११/२०२३       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
  अहिंसा छन्द 

212   122  2


राम नाम बोता जा ।

पार घाट होता जा ।।

अहिंसा छन्द  212   122  2 राम नाम बोता जा । पार घाट होता जा ।। #कविता

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