गगन को देख मगन रहो, यहां नहीं तो वहां वृक्ष हो। कुछ दूर चलकर देखो आगे कहीं छाया हो। घनघोर अंधेरा में दुबको नहीं चलो, कहीं आगे प्रकाश हो। प्रकाश पर भी विश्वास ना करो , शाम ढलने से पहले ; कहीं विश्वास लायक ठहराव हो। निंदा की चिता में ना झुलसो उठो, आगे कहीं बड़प्पन का सिंहासन हो। सिंहासन पर घमंड ना करना यदि जुड़ाव धारा से हो। ©suman singh rajpoot #CandleLight