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हो जा मुरीद मेरा या मुझको मुरीद कर बोसा प्रदान कर

हो जा मुरीद मेरा या मुझको मुरीद कर
बोसा प्रदान कर मुझे पूरा शहीद कर।(१)

ठेंगा दिखा वो फुर्र हुई अज़नबी के साथ
हग करके जिसको था दिया टैडी खरीद कर।(२)

पागल को अपने दे न तू यूं इश्क़ की उमीद
चाहत नहीं है दिल में तो चांटा रसीद कर।(३)

पूरी पगार खर्च के लाया है गिफ्ट वो
रहने दे आज उसकी न मिट्टी पलीद कर।(४)

पूरी ग़ज़ल का एक ही मक़सद यहां "अनाम"
चाहत के नाम पे नहीं जां को शदीद कर।

बोसा/चुम्बन
शदीद/अत्याधिक,दुष्कर,कठिन, गंभीर

©Sanjiv Nigam
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