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सारी ख्वाहिशों को हृदय में दबाकर, तुझे अपनाया थ

सारी  ख्वाहिशों को  हृदय में  दबाकर, तुझे अपनाया था,
तोड़कर  सारे  रश्मों  रिवाज़, अपने  दिल  में  बसाया था।
पर  तुमने  सारे  बंधनों  तोड़कर,  मुझे  अकेला  छोड़कर,
चली  गई  मुझे  रूसवा  करके, जैसे मैं  कोई  पराया था।
वर्षों  पहले तुमने  खंजर से, घायल  कर जो  घाव दिये थे,
मिटते जा रहे वो घाव, जिसपर वक़्त ने मरहम लगाया था। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-122 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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चली  गई  मुझे  रूसवा  करके, जैसे मैं  कोई  पराया था।
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