कभी धूप में,कभी रेत में कभी तलाश बनकर रह गए ढूंढ़ते रहे तुम्हें हम दर-ब-दर और तुम प्यास बनकर रह गए कभी रस्म में,कभी रिवाज़ में कभी कारोबार बनकर रह गए वक्त को इश्क पर तरजीह मिली और हम कर्ज़दार बनकर रह गए... © abhishek trehan ©Abhishek Trehan #इश्क #दर्द #शायरी #कविता #manawoawaratha #LostTracks