हिन्दी मेरी पहचान हिन्दी मेरी मातृभाषा हिन्दी मेरी पहचान स्वर,व्यंजन के बिना अधूरी हिन्दी मेरा अभिमान। हिन्द देश की शान निराली प्रान्त-प्रान्त की बोली प्यारी मिश्री जैसी मीठी -मीठी मेरी हिन्दी फूलों की क्यारी। बावन वर्णो का मेल यही है व्याकरण का मेल यही है स्वर, व्यंजन अंग है इसके बारहखड़ी का तालमेल यही है। मैं हिन्दी में कविता लिखती हस्ताक्षर भी हिन्दी में करती रस,छंद, अलंकार से सजती व्याकरण के रंग जो भरती। हिन्द देश की भाषा हिन्दी युग-युग की गौरव गाथा हिन्दी मस्तक का अभिमान है हिन्दी मेरी पहचान है हिन्दी। सपना परिहार. ©Sapna Parihar हिंदी मेरी पहचान