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सावन में इक,अनछुआ सा अहसास सहेजती हूं! काग़ज़ की क

सावन में इक,अनछुआ सा
अहसास सहेजती हूं!
काग़ज़ की कश्ती में लिखकर,
तुम्हें पैग़ाम भेजती हूं!
रिमझिम फुहारों से ,
फूलों पर बूंदों सी सजती हूं!   
शिव संग जैसे जंचे पार्वती ,        
वैसे तुम संग जचती हूं!
श्रावन में सब भोले,को भजते
मैं सिर्फ तुम्हें पूजती हूं!
सावन में बूंदों पर रखकर
सलाम,भेजती हूं!

               _ मधुबाला ✍️ ##शायरी##सावन
सावन में इक,अनछुआ सा
अहसास सहेजती हूं!
काग़ज़ की कश्ती में लिखकर,
तुम्हें पैग़ाम भेजती हूं!
रिमझिम फुहारों से ,
फूलों पर बूंदों सी सजती हूं!   
शिव संग जैसे जंचे पार्वती ,        
वैसे तुम संग जचती हूं!
श्रावन में सब भोले,को भजते
मैं सिर्फ तुम्हें पूजती हूं!
सावन में बूंदों पर रखकर
सलाम,भेजती हूं!

               _ मधुबाला ✍️ ##शायरी##सावन
madhubala9878

Madhu Bala

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