सावन में इक,अनछुआ सा अहसास सहेजती हूं! काग़ज़ की कश्ती में लिखकर, तुम्हें पैग़ाम भेजती हूं! रिमझिम फुहारों से , फूलों पर बूंदों सी सजती हूं! शिव संग जैसे जंचे पार्वती , वैसे तुम संग जचती हूं! श्रावन में सब भोले,को भजते मैं सिर्फ तुम्हें पूजती हूं! सावन में बूंदों पर रखकर सलाम,भेजती हूं! _ मधुबाला ✍️ ##शायरी##सावन