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madhubala9878
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Madhu Bala

Mrs. universal Delhi NCR Mrs.India UNIVERSAL Most universal Talented & writter

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Madhu Bala

मधुबाला ✍️

©Madhu Bala
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Madhu Bala

नहीं चाहिए ऐसा समाज
जो ऐसे घिनौनें दरिंदों से भरा हो
कानून ही कानून कि किताबों में
सड़ा पड़ा हो ।

इससे पहले कि पूरी 
मानव जाति अपमानित हो
समाज में मत पनपने दो
गर, ऐसे खूंखार अपराधि हो।

हो सके तो इन हत्यारों को फांसी दो
और भविष्य में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ
के स्थान पर,
अपराधियों को बचाओ-बेटी को जलाओ 
का चलन आम ना होने दो।

बेटीयों को तो समझा,चुके हो युगों-युगों से
अबकी बार,
बेटों को समझाओ-बेटीयों को बचाओ
हो सके तो इन हैवानों को,फांसी पर चढ़ाओ
या फिर इनका एनकाउंटर करते जाओ।

नहीं तो ऐसा कानून बनाओ
कि,"रेप की सज़ा फांसी हो"
जिसमें सिर्फ अपराधी हि सज़ा पाओ
कोई इसका ग़लत फायदा ना उठाओ
आज सब मिलकर यह कसम खाओ।

यह तो हुई न्याय और अन्याय कि बातें
पर अपना ध्यान मत भटकाओ
यह सब षड्यंत्र है,उन नशेड़ियों का
तुम उनसे ध्यान मत हटाओ।

रीया-दिपीका- श्रद्धा- सारा अली खान
जैसा कोई और ना फंसे ,
कहीं? असली कि गिरेबान तक
तुम ना पहुंच जाओ
बेटीयों को बचाओ, नशेड़ियों को जलाओ।

                     मधुबाला ✍️

©Madhu Bala ##HathrasJustice#

#NirbhayaJustice

#HathrasJustice# NirbhayaJustice

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Madhu Bala

हिसाब-किताब रखने में
ज़रा कमज़ोर हूं!
    एक हिसाब 
लगा नहीं पा रही हूं!
    दर्द कौन ,
ज़्यादा देता है,????
 जो,ज़िन्दगी भर का 
 दर्द दे गऐ? वो???
      या जो,
 ज़िन्दगी भर से ,
हर रोज़ दर्द देते आ रहें हैं?
             वो ????
                __ मधुबाला ✍️ ##दर्द##

#दर्द##

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Madhu Bala

मैं कम ख़ूशीयों में ज़्यादा 
खिलखिलाना,सीख लेती हूं
    बिन प्रित के भी रीत निभाना
    सीख लेती हूं
    हर चीज़ से मैं,
    कुछ-ना-कुछ सीख लेती हूं!

मैं हर दर्द में, मुस्कुराना सीख लेती हूं!
जब जलधर के अश्कों को,
     हर सीप अपनी पलकों में 
     छुपाकर जैसे,मोती बनाता है
     सीप से अश्कों को,
     छुपाना सीख लेती हूं!

मैं बंजर ज़मीन पर
सुराही से, कुछ बूंदें गिराकर
      हरियाली के सपनें 
      सजाना,सीख लेती हूं, 
      हां मैं बंजर धरा से भी
      तुछ,होंसला सीख लेती हूं!
क्योंकि मैं हर चीज़ से
कुछ-ना-कुछ सीख लेती हूं!
                   __ मधुबाला ✍️ #LightsInHand
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Madhu Bala

सावन में इक,अनछुआ सा
अहसास सहेजती हूं!
काग़ज़ की कश्ती में लिखकर,
तुम्हें पैग़ाम भेजती हूं!
रिमझिम फुहारों से ,
फूलों पर बूंदों सी सजती हूं!   
शिव संग जैसे जंचे पार्वती ,        
वैसे तुम संग जचती हूं!
श्रावन में सब भोले,को भजते
मैं सिर्फ तुम्हें पूजती हूं!
सावन में बूंदों पर रखकर
सलाम,भेजती हूं!

               _ मधुबाला ✍️ ##शायरी##सावन

#शायरी#सावन

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Madhu Bala

वो कहते हैं.....
कि,एक ज़माने में
तुम्हारे आगे - पिछे,
अपनों के मेले थे
फिर आज तुम इतनी तन्हा क्यों हो गई???
हमने कहा.... क्योंकि
उनकी हमसे ज़रूरतें, पूरी जो हो गई!
              __ मधुबाला ✍️ # alone # shayari

# alone # shayari

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Madhu Bala

कुछ तो दर्द दफ़न रहा
होगा इस दिल में "मधु"
वरना, आंसुओं को
बेहेनें की ज़हमत ना
करनी पड़ती!
कुछ तो मजबूरी रही होगी
उन रिश्तों की, 
वरना, दिल के करीब होते हुए भी
नज़रों से दूर होने की पीड़ा
ना सहनी पड़ती!
कुछ तो कमी रही होगी
राखी के धागे, की लम्बाई में
वरना,बड़ती कलाई में
राखी छोटी ना पड़ती!
कुछ तो ईश्वरीय ताक़त
रही होगी ममता की छांव में
वरना, मां के ना होने पर
जिन्दगी झुलस ना पड़ती!
कुछ तो छल ज़रूर था,
उस भयानक तुफानों में, 
जिसने जड़ से हिला दिया
वरना,कब की सूख कर झड़ जाती
जो कोमल कोंपल जैसी
बच्चों की मुस्कराने सामने न पड़ती!
कुछ तो बात रही होगी
उसके बेवजह मुस्कराहट के पीछे
वरना, अपनी सीसकती हंसती
यूं ना मिटानी पड़ती!
कुछ तो असर होगा दुआओं का "मधु"
उपर वाला न्याय,ज़रूर करेगा
वाहां न्याय के लिए
रिश्वत नहीं देनी पड़ती! 
                       ___ मधुबाला ✍️ #wait
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Madhu Bala

जब भावनाओं को
व्यक्त करने के लिए
शब्द कम पड़ जाते हैं,
तो No words कहलाते हैं!
और जब अल्फाज़ों की कमी
एक कवि को होने लगे तो उसे
बेइंतहा मुहब्बत कहते हैं!
जिसे वह काग़ज़ पर
नहीं बिख़ेर सकता!
बिवी ग़र मां और पत्नी दोनों का
किरदार निभा सकती हैं,
तो शौहर भी पिता और पती का
किरदार बखू़बी निभाते हैं!
Happy father's day
Dear Hubby
                ___ मधुबाला ✍️ ## शायरी## मुहब्बत##

## शायरी## मुहब्बत##

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Madhu Bala

ये ज़िंदगी इक रंग मंच ही तो है
यहां हर क़िरदार खुद ही निभाने पड़तें हैं!
यहां आपकी सच्चाई कि 
गवाही देनेवाला कोई नहीं!
यहां आप अपना 
सच साबित नहीं कर  पाएंगे!
पर दूसरे अपने झूठ को
सच बना कर 
साबित कर जाएंगे!
यहां गवाही के तौर पर 
आपका लिखा हुआ
पुराना ख़त,
सबूत बनकर कभी सामने नहीं आएगा!
यहां सच्चाई या तो 
इंसान खुद बयां किया करता है
या बिना बयां करें इंसान
परलोक सिधार जाया करता है!
झूठ समझने वाले कभी 
सच्चाई जान नहीं पाते!
और सच्चाई जानने वाला,
बयां करने की कोशिशों में
पूरी ज़िंदगी ,
घुट-घुटकर बिताने को मजबूर हो जाते हैं!
वो कहते थे,
कि समय के साथ ,सब ठीक हो जाते हैं!
पर अब तो समय इतना हो गया कि,
फांसले हो चलें हैं !
नफ़रत सी हो चली है, "मधु ; ..
उन नक़ाब पौशौं से जो 
अपना बन कर पीठ में 
खंजर उतारते चले आएं हैं!
                      ___ मधुबाला ✍️ #depression
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Madhu Bala

वो हमारा हाल जानना चाहते थे
कुछ ख़बरों के चलते
पर हम ख़फा थे
कि उस बेहाली को कैसे बयां करें
जो किसी अख़बार में नहीं छपते।
_मधुबाला✍️ ## हम ख़फा थे, ख़फा हैं##

## हम ख़फा थे, ख़फा हैं##

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