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बेहरा, गूंगा होता है। जो चुप है बाहर से वो अंदर से

जो चुप है बाहर से
वो अंदर से अकसर चीखा है
बाहर कोई जाँचे परखे ना
उसको उस बात का डर भी लगा रहता है
अंदर की चीखें सुनकर वो खुद बेहरा सा होता है
और बाहर की दुनिया के लिए वो बेहरा, गूंगा होता है।

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जो चुप है बाहर से वो अंदर से अकसर चीखा है बाहर कोई जाँचे परखे ना उसको उस बात का डर भी लगा रहता है अंदर की चीखें सुनकर वो खुद बेहरा सा होता है और बाहर की दुनिया के लिए वो बेहरा, गूंगा होता है। #pod nojoto #hindipoetry #Hindi #poem

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