महकते कमरो के कोने, जग उठते प्यार के चिराग। चमक उठते पुराने उपहार, खिल जाते घर के हर विभाग। सरस होती रातों की बयार, जो सुनती तुम मेरी पुकार। कितनी यादें कितनी बातें, उभर आती बनकर राग। गाता भोला मन बार बार, सुरों में सुनाता सब जज्बात। बरस जाती रिमझिम फुहार, जो सुनती तुम मेरी पुकार। छा जाता मुख पर निखार, मिट जाते अनबन के दाग। बन जाते निशानियों के सार, उमड़ जाते यौवन के पराग। बातें होती प्यारी अपार, जो सुनती तुम मेरी पुकार। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #Memories #Yadein #kaviananddadhich #poetananddadhich