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फाके में गुजार दी जिंदगी भटकते भटकते सुकून से सोन

फाके में गुजार दी जिंदगी भटकते भटकते 
सुकून से सोने को कब्रगाह ही मिली 
जन्नत के ख्वाब बुनते रहे बेअक्ल हम 
जबकि जिंदगी भी हमें लापरवाह मिली।

©Kamlesh Kandpal
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