मेरी शायरी में पैनापन शायद ठेस लगने से आया हो, जैसे मैंने देखा पत्थर पर घिस-२ कर कोई चाकू तेज़ कराया हो। नज़रिया क्या पूछे कोई तेरी कथनी में झलकता है, जैसे कुंए में पानी भरते-२, रस्सी से पत्थर मुलायम कराया हो। Every body has its own language some bodies die hard* *to change or disappear only slowly or with difficulty