जिसे बिन मांगे मिल रही हो,मोहब्बत कदर क्या करती। दिल ही जिसका बाजार हो,वो मेरे साथ बसर क्या करती।। एक हमी नही थे दीवाने,उनके इस शहर में यारो। सब तो कर रहे थे दुवा,एक मेरी दुवा असर क्या करती। दिल ही जिसका बाजार हो,वो मेरे साथ बसर क्या करती।। गलत वो नही हम थे,जो उसे अपना समझ बैठे। मरना मेरी खता थी उसपे,वर्ना वो जिना जहर क्या करती।। दिल ही जिसका बाजार हो,वो मेरे साथ बसर क्या करती।। एक यादे वफ़ा थी आनन्द,उसका आना तो बेवफ़ाई था। तूने ज्यादा कर दिया उसका,वो तेरी फिकर क्या करती। दिल ही जिसका बाजार हो,वो मेरे साथ बसर क्या करती।। ©Anand Singh Paliwal #😘वो #क्या #करती