मैं सोनपापरी हुं ! जब फ्रिज में रसगुल्ला,कलाकन्द शाजे तुम खाना पहले रसमलाई ताजे फिर मील्ककेक, ढ़ोंढ़े की आयेगी बारी स्वाद लेके खाना तुम पारा पारी अब देखना लड्डू, बतासे गलने लगेंगे आधे खाने आधे फेखने के दौड़ चलने लगेंगे जब दिवाली के सारी मीठाई ख़त्म हो जाए बची-खुची काजू बर्फी पर फफूंदी लग जाए तब मुझे याद करना प्यारे किचन के कोने में बढ़ना प्यारे मैं कई घर घूम के आया हुं कई हाथों को चुम के आया हुं मुझे महीनो दिन बाद भी खोलोगे जब खाओगे-खीलाओगे यकीनन मीठास ही घोलोगे मैं सोनपापरी हुं !लोग मुझे त्योहारों में बाकीयों से कम आंकते हैं जब कुछ ना मिले तो मेरा चुरा भी फांकते हैं ! समाप्त पारा-पारी - बदल बदल कर #soanpapri