बातें मेरी बिन बात झुकना सीख ना पाईं ऑंखें मेरी ख़्वाबों में रुकना सीख ना पाईं देखा जहाँ जैसा वही अल्फ़ाज़ में ढला ग़ज़लें मेरी सच से मुकरना सीख ना पाईं मुझे धरती के आँचल से यक़ीनन प्यार ही होगा तभी मेरी जड़ें गमलों में उगना सीख ना पाईं -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #जड़ें