बचपन से रोज आसमां में, मैं तारे ढूंढा करता था, एक छोड़,दूजा छोड़, मैं तो सारे के सारे ढूंढा करता था, ढूंढने की चाह में , एक चमकते तारे पर मेरी नजर पड़ी, आई मुस्कान चेहरे पर मेरे, पर उसे चाहने वालो की चाहत थी मुझसे भी बड़ी बड़ी, मैने होकर बेपरवाह दुनिया से,उस तारे में खोना शुरू किया, और देख मेरी चाह, बदले में तारे ने भी टिमटिमिना शुरू किया, सालो तक वो तारा मेरी खुशी के लिए टिमटिमाता रहा, और अपने आप को दुनिया की ख्वाइशों से बचाता रहा, पर एक रोज उसकी मांग कुछ इस कदर बढ़ गई, कि मुझसे भी बेहतर चाहने वाले की उस तारे पर नजर पड़ गई, और ना जाने क्यों वो तारा उस रोज से मुझसे रूठ गया, और तोड़कर सारे सपने मेरे वो , बहुत बेहरेमी से किसी और के लिए टूट गया। ©NEHHA RAGHAV #Stars #Star #shining #Blinking #Love #Life #Night #Stars