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मैं अकेला कोहरे में ठंड की रात जाकेट में हाथ डा

मैं अकेला

कोहरे में 
ठंड की रात 
जाकेट में हाथ डाले
यूँ ही कदम दर कदम
बढ़ाता जा रहा 
और बस इसी ख्याल में
कहाँ हूँ मैं तन्हा
हर पल तो साथ निभा रहा
मैं खुद अपना
धीरे धीरे गुनगुना रहा
फिर वही बोल

मैं अकेला kauno akela naahi hai yha
मैं अकेला

कोहरे में 
ठंड की रात 
जाकेट में हाथ डाले
यूँ ही कदम दर कदम
बढ़ाता जा रहा 
और बस इसी ख्याल में
कहाँ हूँ मैं तन्हा
हर पल तो साथ निभा रहा
मैं खुद अपना
धीरे धीरे गुनगुना रहा
फिर वही बोल

मैं अकेला kauno akela naahi hai yha
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