मैं अकेला कोहरे में ठंड की रात जाकेट में हाथ डाले यूँ ही कदम दर कदम बढ़ाता जा रहा और बस इसी ख्याल में कहाँ हूँ मैं तन्हा हर पल तो साथ निभा रहा मैं खुद अपना धीरे धीरे गुनगुना रहा फिर वही बोल मैं अकेला kauno akela naahi hai yha