समाज की तू बन गई कठपुतली आ गया यह कैसा दौर, अपने रोने हंसने का हक क्योंकर देना किसी और। सींचाअपने स्नेह से समाज की तू तो थी सिरमौर, तेरी मंजिल तुझे खुद तय करना कोई और क्यों दिखाएं ठौर। अंधविश्वास की बेड़ियां गलत रूढ़ियों का बदलो अब तौर, ओ समाज के ठेकेदारों कर लो तुम अब यह गौर। #puppets#society#कठपुतली indira varsha ✍️ Roohi gokul Harsh dubey