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White कांधे से कांधा मिला कर चलने की सोच थी खुद क

White कांधे से कांधा मिला कर 
चलने की सोच थी
खुद को साबित करने की
दिल में लगी भूख थी
मंजिल के प्रकाश में
जोश जुनून का सहरा था।
मालूम न था राहों में
अदृश्य दीवार का पहरा था।
जिसके नुकीले सरिये ने
घाव दिया गहरा था।
जिसने हमारे तन मन को
अंदर तक घायल किया
हमारे हर अरमानों का
बेरहमी से क़तल किया।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
  #अदृश्य_दीवारें  कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश
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alka mishra

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