जो आंखों से छलका नहीं अब तक कभी, उस अश्क़ का मैख़ाना किसने देखा। तेरी यादों के साये में गुज़रती हैं रातें तेरे बिन कोई दिल का ठिकाना किसने देखा । ऐ साक़ी, तेरी नज़र से पिला दे मुझे ऐसा जाम कि फिर से होश में आना किसने देखा । तेरी राहों में रखे हैं दिल के ये अरमान, कि हर मोड़ पे तेरा अफसाना किसने देखा । जिसे दुनिया कहे फ़कत एक गुज़रती कहानी, वो मेरी आँखों का वीराना किसने देखा ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर