तन पर अलंकार नहीं प्रकृति में निवास सादगीपूर्ण जीवन उनको बनाता खास गंगा जटा विराजें तन पे भस्म रमाये नाहीं कोई आडम्बर फिर भी है खास देव-दानव भिड़ते इनसे ही होती आस विष का प्याला पी कर बन गये खास गुस्से में आये कामदेव को भस्म कर जाये निश्छल प्रेम माँ सती से इन्हें बनाता खास दुष्टों का करते संहार रखें जो इन पर आस जो दिल से याद कर ले इन्हें वो लगता खास हर हर महादेव इतना ही कहना आज ये झूमता सावन आपसब के जीवन में हो खास ।।। ♥️ Challenge-998 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।