ख़ुदा ने इंसान बनाया, और इंसानियत को इबादत-ए-ख़ुदा का दर बताया। ईमान-ए-कर्म अता करने वाला हर बंदा बेईमान कहलाया। इंसानियत के नाते कर दे मदद इंसान, इंसान की ऐसा फ़ितरत भी इंसान को पसंद नही आया। तेरे बंदे को हर जख्म मिले इस जमाने से,पर फिर भी तेरे बंदे की फ़ितरत में कोई बदलाव न आया। कर इंसानियत-ए-कर्म तेरा बंदा टूटता गया एे मालिक। उस मतलबी इंसान के साथ कैसे इंसानियत निभा जाऊ, ऐसी कोई राह अता कर एे मालिक।। #NojotoQuote इंसानियत अता- प्रदान करना फ़ितरत - स्वभाव इबादत- पूजा