सुन सुबह फिर आयी है, नया नया दिन लायी है धूप कनक सी छाई है और सिमट रही परछाई है उठ, पैरों को ऐड लगा और घड़ी के कांटे साध साँसों में भार कर निश्चय, बढ़ चल तू निर्बाध आसमान सीढ़ी का पग है, तप में जो गहराई है सुन सुबह फिर आयी है, नया नया दिन लायी चल, सूरज से होड़ लगानी, आसमान कस ले काल सर्प के दंशों को भी आज जरा डस ले दुनिया भी जाने गंगा किसने उल्टे पैर चलाई है धूप कनक सी छाई है और सिमट रही परछाई है सुन सुबह फिर आयी है, नया नया दिन लायी है धूप कनक सी छाई है और सिमट रही परछाई है वो किरणों से लिखी इबारत 16. घड़ी के कांटे साध #kavishala #hindinama #tassavuf #skand #love #wo_kirano_se_likhi_ibarat #वो_किरणों_से_लिखी_इबारत #kiranTh #घड़ी_के_कांटे_साध #daring #wokirnoselikhiibarat #courage #motivation