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कीतना रोना पड़ा इस दिल को किसी के नादानी से, ओ जलव

कीतना रोना पड़ा इस दिल को
किसी के नादानी से,
ओ जलवे भी देखे हैं
मेरी और तेरी जवानी के,
सांस चल रही थी अचानक से रुक गई
इसी 1 मिनट आंख की शैतानी से,
कि अब चाह कर भी रुक नहीं सकता
जो जनात दिखाया था मौसम की रवानी से, ओ जलवा ओ जुनून कहां से निकले
एक आईना तोड़ा है बेवफाई से,

©Pankaj कितना रोना पड़ा इस दिल को
कीतना रोना पड़ा इस दिल को
किसी के नादानी से,
ओ जलवे भी देखे हैं
मेरी और तेरी जवानी के,
सांस चल रही थी अचानक से रुक गई
इसी 1 मिनट आंख की शैतानी से,
कि अब चाह कर भी रुक नहीं सकता
जो जनात दिखाया था मौसम की रवानी से, ओ जलवा ओ जुनून कहां से निकले
एक आईना तोड़ा है बेवफाई से,

©Pankaj कितना रोना पड़ा इस दिल को
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Pankaj

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कितना रोना पड़ा इस दिल को #कविता