कीतना रोना पड़ा इस दिल को किसी के नादानी से, ओ जलवे भी देखे हैं मेरी और तेरी जवानी के, सांस चल रही थी अचानक से रुक गई इसी 1 मिनट आंख की शैतानी से, कि अब चाह कर भी रुक नहीं सकता जो जनात दिखाया था मौसम की रवानी से, ओ जलवा ओ जुनून कहां से निकले एक आईना तोड़ा है बेवफाई से, ©Pankaj कितना रोना पड़ा इस दिल को