सच कह दूँ तो गुनहगार हूँ मैं झूठों का थोक बाज़ार हूँ मैं। खरीदना है तो झूठ मुझसे खरीदो सारे झूठों का अकेला सरदार हूँ मैं। ---- बिकता है झूठ कितने ही धड़ल्ले से बचकर निकल जाता है हर एक मोहल्ले से। ग्राहक बहुत हैं झूठ के, इस दिखावे के शहर में झूठ की ही मिलावट है अब सारे जहर में। -------- झूठ को काम बहुत है बेरोजगार सच को आराम बहुत है। संघर्ष के भय से सच दिल में ही छुपा रहता है। झूठ महफ़िल में सीना तान कर कहता है। वाह वाह करो मेरी, वरना पछताओगे। गलती से भी सच बोला तो तुम मार खाओगे। --- ashish dwivedi ©Bazirao Ashish #झूठी_दुनिया