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White चमन में अब भी तो ख़ार बाकी हैं, ख़्वाब टूटे

White चमन में अब भी तो ख़ार बाकी हैं,
ख़्वाब टूटे मगर इख़्तियार बाकी हैं।

जो जल गए थे, वो राख हो गए,
मगर दिलों में अब अंगार बाकी हैं।

हमने बारिश से दोस्ती कर ली,
अब भी आँखों में इज़हार बाकी हैं।

साज़िशों के देखे हज़ार चेहरे,
पर हमारे जुनूँ में शार बाकी हैं।

जो मिट गए हैं, वो लौट आएंगे,
बंजर ज़मीं पर अभी बहार बाकी हैं।

'पूनम' की शायरी का असर देखना,
हर सदी तक ये अश्आर बाकी हैं।

- पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 गजल (बाकी है )
White चमन में अब भी तो ख़ार बाकी हैं,
ख़्वाब टूटे मगर इख़्तियार बाकी हैं।

जो जल गए थे, वो राख हो गए,
मगर दिलों में अब अंगार बाकी हैं।

हमने बारिश से दोस्ती कर ली,
अब भी आँखों में इज़हार बाकी हैं।

साज़िशों के देखे हज़ार चेहरे,
पर हमारे जुनूँ में शार बाकी हैं।

जो मिट गए हैं, वो लौट आएंगे,
बंजर ज़मीं पर अभी बहार बाकी हैं।

'पूनम' की शायरी का असर देखना,
हर सदी तक ये अश्आर बाकी हैं।

- पूनम सिंह भदौरिया

©meri_lekhni_12 गजल (बाकी है )