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जिंदगी का गहरा अनुभव हमेशा घाव में आया। मैं निखरा

जिंदगी का गहरा अनुभव हमेशा घाव में आया।
मैं निखरा और भी जब अक्सर दबाव में आया।


मतलबी लोग,दम घुटती फिजाऐं रास ना आईं,
उसी दिन से शहर को छोड़कर मैं गांव में आया।


नहीं अब टूटता है फ़ीता ये इतनी जल्दी-जल्दी,
जिम्मेदारियों का चप्पल जब से पाँव में आया।


लगेगा जीवन भर इस पार से उस पार उतरने में,
बेवजह बैठ कर तू उस तरफ से नाँव में आया।


इन शज़र का उम्र भर का कर्जदार हूँ ,
कभी फल तोड़कर खाए,कभी मैं छाँव में आया।

            ------हर्षित



 #NojotoQuote #nojotokavita#kavya#nojotovedio#kavya#gazal
जिंदगी का गहरा अनुभव हमेशा घाव में आया।
मैं निखरा और भी जब अक्सर दबाव में आया।


मतलबी लोग,दम घुटती फिजाऐं रास ना आईं,
उसी दिन से शहर को छोड़कर मैं गांव में आया।


नहीं अब टूटता है फ़ीता ये इतनी जल्दी-जल्दी,
जिम्मेदारियों का चप्पल जब से पाँव में आया।


लगेगा जीवन भर इस पार से उस पार उतरने में,
बेवजह बैठ कर तू उस तरफ से नाँव में आया।


इन शज़र का उम्र भर का कर्जदार हूँ ,
कभी फल तोड़कर खाए,कभी मैं छाँव में आया।

            ------हर्षित



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