सुबह सवेरे दो व्यक्तियों द्वारा. आपस मे सुप्रभात का आदान प्रदान मानसिक और भावनात्मक तल पर स्वास्थ्यदाई कहा जा सकता है. क्योंकि दो नज़रे मिली है दो मुस्कराहते खिली हैँ दो ताज़ा ऊर्जाओं का विनिमय हुआ है लेकिन ज़ब कोई जीवित इकाई सामने मौजूद ही न हो तो यह खाली पतीले मे कड़छी चलाने जैसी निरर्थक कवायद ही कही जायेगी ©Parasram Arora निरर्थक कवायद.......