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कुछ बयां अपनी करो कुछ सुनो हमें भी कुछ बातें वो कह

कुछ बयां अपनी करो
कुछ सुनो हमें भी
कुछ बातें वो कहो
जो अब तक हैं अधूरी
कुछ ख्वाहिशों के झोले
कंधे पे हैं लटके,
बोझ के तले 
दबे जा रहे,
कुछ राह संग में 
गुजारो हमारे,
रहम ए गुजारिश
किए जा रहे हैं,
कुछ तो कर दो,
 ऊपर हमारे।
आंखों से नींद, 
चुरा ले चले हो,
सपनों को छोड़ा है,
किसके सहारे।

©Karan Kumar #hindi_poems #my_favourite
कुछ बयां अपनी करो
कुछ सुनो हमें भी
कुछ बातें वो कहो
जो अब तक हैं अधूरी
कुछ ख्वाहिशों के झोले
कंधे पे हैं लटके,
बोझ के तले 
दबे जा रहे,
कुछ राह संग में 
गुजारो हमारे,
रहम ए गुजारिश
किए जा रहे हैं,
कुछ तो कर दो,
 ऊपर हमारे।
आंखों से नींद, 
चुरा ले चले हो,
सपनों को छोड़ा है,
किसके सहारे।

©Karan Kumar #hindi_poems #my_favourite