कुछ बयां अपनी करो कुछ सुनो हमें भी कुछ बातें वो कहो जो अब तक हैं अधूरी कुछ ख्वाहिशों के झोले कंधे पे हैं लटके, बोझ के तले दबे जा रहे, कुछ राह संग में गुजारो हमारे, रहम ए गुजारिश किए जा रहे हैं, कुछ तो कर दो, ऊपर हमारे। आंखों से नींद, चुरा ले चले हो, सपनों को छोड़ा है, किसके सहारे। ©Karan Kumar #hindi_poems #my_favourite