हवाओँ का प्रवल वेग, कदाचित उसके स्वरूप का आँधियों में परिवर्तित होना, वृक्षों का ऐसे धराशायी होना मानो बिना प्राण के शरीर! फलों का जमीन पर टपटपाना, जैसे शरीर से अंगों का अलग होना! बिजली के खम्भो का उखड़ना, छप्पर का उड़ा ले जाना.....,, चारो तरफ अफरातफरी...... धूल धूसित वातावरण......... झाड़ियों की सरसराहट........ आँधियों की उदंडता का साक्षी है।। वही दूब का नन्हा स्वरुप,, आँधियों का उपहास कर रहा है।। ©श्री...✍🏻 "टपटपाना" शब्द का तात्पर्य पेड़ से फलों का टूट कर गिरने से उत्पन्न ध्वनि से है। विशालकाय वृक्ष को धराशायी कर देने वाली आँधी, नन्ही सी दूब के सामने शक्तिहीन हो जाती है। #yqdidi #yqbaba #hindibestsadquotes #hkkhindipoetry #श्रीsnsa