( युद्व & जन्मभूमि) हवा के एहसास को भूला नहीं जाता , समन्दर की लहरें उठकर - गिरकर समंदर में ही लौट आती हैं , मौसम कितने भी बदले लेकिन हर बार लौटते हैं । प्यार कितना भी दूर चला जाए , वह तब तक भीतर रहता है जब तक तुम हो । भले ही उसका रूप बदल जाए , उसकी याद धूमिल पड़ जाए लेकिन जो ज़िंदगी का हिस्सा हो उसे जिंदगी से अलग नहीं किया जा सकता , सिर्फ़ स्वीकारा जा सकता है । किसी को प्यार करने में तुम जितने साल बिताते हो ठीक उतनी सदियाँ तुम्हें उसे न याद करने में लगती है । किसी को भूलना नहीं होता लेकिन याद न करना भी अपने बस में कहाँ । " ©vinayak kumar pandey #Grassland