रोज थोड़ा थोड़ा समझने की कोशिश करती कुछ हो जाता ऐसा खड़ी होती फिर उसी डगर पर जंहा से शुरू किया था सफर उफ़्फ़फ़फ़ ये दिमाग और दुनिया सिमिट जाती इस महफ़िल में कोई किसी का नहीं रंग तितली को मिले रोशनी जुगनू को खुशबू फूलों को विस्तार गगन को सहनशक्ति अवनी को और ये सब शक्ति एक मे दी वो हैं औरत हाँ औरत ........ #रीना