अपने ही घरोंदे में तनहा से रेहते हैं, मत पूछो हमारी बेखुदी का आलम... न समझ सके अपने ही ऐबों को, क्या सुध ले ऐब-ए-जहान की । ऐब #ऐब #घरोंदा