Nojoto: Largest Storytelling Platform

किससे शिकायत करते , किससे करते गिला, वो ज़ख़्म द

किससे  शिकायत  करते , किससे करते गिला,
वो  ज़ख़्म  देने  वाला  भी   अपना ही निकला,

वो वार पे वार करता रहा, मेरी ज़ख़्मी रूह पर,
ज़ुर्म-ए-उल्फ़त में वफ़ा का ,बस यही था सिला,

ग़मो के  अश्क़  पीकर  मेरी , गुज़री ये ज़िन्दगी,
चलता रहा  तमाम उम्र , यही दर्द का सिलसिला,

जलाता रहा  कदमों  को , मेरे इश्क़ का रेगज़ार,
फिसलता रहा हाथों से , इश्क़ के रेत का किला,

अधूरी रही ना मुकम्मल हुई ,मोहब्बत की किताब,
जो लिखा था तक़दीर में , दर्द भी वही था मिला।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #ज़ख़्मदेनेवाला
#जख्मी_दिल