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तन्हा-तन्हा लेटे हैं, कितने हैं मजबूर। प्यार किया,

तन्हा-तन्हा लेटे हैं, कितने हैं मजबूर।
प्यार किया, तन्हाई मिली,यह कैसा है दस्तूर।।
सपन सलोने दिखलाकर, क्यों तन्हा हमको कर डाला।
आँखों के आँसू, रुक नही पाते, क्यों हो गये हमसे दूर।।

©Shubham Bhardwaj
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