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मशरूफ है तू बस मेरे लिए, आसान हूं मैं बस तेरे लिए,

मशरूफ है तू बस मेरे लिए,
आसान हूं मैं बस तेरे लिए,
तूने खिलौना मुझको माना है,
 वरना दीवाना तो सारा जमाना है,
लड़ने की फितरत नहीं थी मेरी,
तुझे रुलाने की हरकत नहीं थी मेरी,
अब तुझे भुलाने में जमाने लौट बीत जायेंगे,
भटकते परिंदें हैं हम अब, लौट के ना आयेंगे।


बदल जाना एक कला है तो,
उसमें कलाकार है तू,
मेरे दिल से मन मर्जी निकल जाता है,
सच में दिल का किरायेदार है तू,
बिछड़ने की तो बात की ही नहीं थी,
फिर भी बिछड़ गए ना,
किसी तीसरे की भी बात नहीं हुई थी,
लेकिन तुम मचल गए ना,
अब अंधेरे की सितम रोशनी से भगाएंगे,
भटकते परिंदे हैं हम अब, लौट के ना आयेंगे।

©सुन्दरम दुबे #MusicLove #Nojoto #nojotohindi #Poetry #poem #poetry_by_sundram #Love
मशरूफ है तू बस मेरे लिए,
आसान हूं मैं बस तेरे लिए,
तूने खिलौना मुझको माना है,
 वरना दीवाना तो सारा जमाना है,
लड़ने की फितरत नहीं थी मेरी,
तुझे रुलाने की हरकत नहीं थी मेरी,
अब तुझे भुलाने में जमाने लौट बीत जायेंगे,
भटकते परिंदें हैं हम अब, लौट के ना आयेंगे।


बदल जाना एक कला है तो,
उसमें कलाकार है तू,
मेरे दिल से मन मर्जी निकल जाता है,
सच में दिल का किरायेदार है तू,
बिछड़ने की तो बात की ही नहीं थी,
फिर भी बिछड़ गए ना,
किसी तीसरे की भी बात नहीं हुई थी,
लेकिन तुम मचल गए ना,
अब अंधेरे की सितम रोशनी से भगाएंगे,
भटकते परिंदे हैं हम अब, लौट के ना आयेंगे।

©सुन्दरम दुबे #MusicLove #Nojoto #nojotohindi #Poetry #poem #poetry_by_sundram #Love