गद्दार कहते है कौन है कौन है देश का गद्दार मेरी कलम चली हो जाओ ख़बरदार केसी है सरकार जनता पागल नहीं. जानते है सब,सब पढ़ते है अख़बार वोट खरीदने आये दोगले खरीदार जुमले फेंकने आये फिर, आला कलाकार किसी ख़ास मज़हब पर बोलने वालो पहले निकालो सरकार में से तड़ीपार सुनो में हूँ मुकम्मल पोल खोलने की किताब बात नफरत की, की इन्हेंने तो दू मै मुहतोड़ जवाब हुई मन की बात,बन गया अतुल्य भारत, ओह क़्या कहूं कितना अच्छा था ये ख्वाब ©qais majaaz 03 khanabadosh #RepublicDay