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अब निकल पड़ि हु खुद कि वजुद के तलाश मे, ओर कबतक इउ

अब निकल पड़ि हु खुद कि वजुद के तलाश मे,
ओर कबतक इउहि  रोन्थति फिरोङ्गि इन बदनाम गलियों में ।
आसरा तो ना हे कोई ना रहा कोई ठिकाना, 
किस किस्से छोपाती फिरो अपने दर्द का फसाना।
बेरङ्ग सि  जिंदगी में अब दिलदार कोई ना रहा,
पतङ्गा से बेहतर कोन हि जानता हे आग मे जलने का सुकून ओर हे कहा।
हे मेरा ए नसिबा बान्धके सरपे दर्द का सेहरा,
जिंदगी में हे अब तो बस गमों का  हि पेहरा।

©N.B Mia ❤
  #StandProud  0 Sethi Ji