कविता नये साल में नया क्या होगा| ©Azim Noor नये साल में नया क्या होगा| कल ये हर शख्स सोच रहा होगा| क्या ये ही ज़मी होगी ये ही आसमां होगा| गर सब ही पहले जैसा होगा तो नया साल में क्या नया होगा| अज़ी नया तो कुछ यूँ होता,कि सूखे पेड़ पर हरे पत्ते नज़र आते,