कोरे कागज पर एक याद लिखी है बचपन में की थी जो वो बात लिखी है छोटी बड़ी बात पर मां की हर डांट लिखी है पापा की हिदायत भरी हर आवाज लिखी है लड़ती झगड़ती बहन को प्यार की सौगात लिखी है हॉस्टल में बीती पहली रात में बही अश्रुधार लिखी है स्कूल में बने हर एक दोस्त की मुस्कुराहट लिखी है बचपन की तमाम चटपटी हरकतों को फिर एक साथ लिखी है कागज की कश्ती को फिर सावन की बरसात लिखी है यादों के सफर में खो जाने को एक सुहानी शाम लिखी है बचपन की मासूमियत को एक प्यार भरी रात लिखी है कागज भरा है अभी तो यादें सिर्फ चार लिखी है बचपन और बचपना #बचपन