लाखों करोड़ों की भीड़ में अकेले खड़ी हूं सब पास है पर फिर भी मन अकेला है कोई मेरी गलती बता जाता ,मेरे इस गिरते आंसू का कोई हिसाब बता जाता , क्या बूढ़ा होना पाप है या अभिशाप है या किसी को खुद से ज्यादा चाहना गलत है अगर गलत नहीं है तो क्यों मैं इस लाखों करोड़ों की भीड़ में अकेली खड़ी हूं क्यो सब पास हो कर भी दूर है आज मैं जीवन के इस मोड़ पर खड़ी हूं जहां से खुद को देखने पर बेबसी और लाचारी महसूस होती है आखिर क्यों इस दुनिया के लाखों करोड़ों की भीड़ में आज मैं अकेली हूं .....आखिर क्यों #NojotoQuote koe nhi mera