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जिम्मेदारीयों को कब मैं बोझ मानती हूँ, मेरे गमों क

जिम्मेदारीयों को कब मैं बोझ मानती हूँ,
मेरे गमों का पिटारा मै कब हर रोज़ खोलती हूँ,
लिखा है बस हर रिश्ते को रिश्ते बनाये ,
 रखते - रखते हुए बेहाल  मेरा ,
मेरे दोस्त ! कहाँ मैं रिश्ते निभाने से डरती हूँ ,

अकेली हो जाऊ कभी ,तो
 पास मैं खड़ा मेरा परिवार पाती हूँ ,
मेरे ये भाई बहन माँ बाबा का सहारा ,
 सिर्फ उन्हे ही मैं हर जन्म में खुदा से मांगती हूँ ,
बस वक्त ने ही बेहाल कर रखा है ,
बारिस में भी एक कच्ची झोपड़ी से ही पानी टपकता है,
 एकेले सागर में तो बारिस का पानी भी शोर मचाता है,
दिल के मस्कन में मचे ऐसे तूफान में भी,
कब मैं खुद को अकेला मानती हूँ ,
जिम्मेदारियाँ से डरकर मैं कब भागती हूँ ,

©Pinki
  जिम्मेदारीयाँ
rahulrahul7008

Pinki

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जिम्मेदारीयाँ #शायरी

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