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एक ख्वाब देखा था आँखों ने एक आशियाने का.. जँहा तुम

एक ख्वाब देखा था आँखों ने
एक आशियाने का..
जँहा तुम हो और एक मैं
कोना कोना गुलशन हो
बस एक तेरे होने से..
पर ज़ब पता चला
तुम न होगे साथ मेरे..
तब से इन आँखों ने
ख्वाब सजाना ही छोड़ दिया..

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
  #आँखें