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दिल के टूटे टुकड़े हैं जाऊँ मैं अब किस ओर प्रिये क


दिल के टूटे टुकड़े हैं
जाऊँ मैं अब किस ओर प्रिये
कोई यहाँ गिरा,कोई वहाँ गिरा
हुआ कहाँ कोई बोध प्रिये

ऊँगलियों से बनी कोई मुट्ठी है
मुट्ठी में छिपी कोई रेखा है
उस रेखा को किस्मत कहते हैं
क्यूँ लिखे इतने अवरोध प्रिये

माना ये जीवन नश्वर है
नश्वर से जुड़ा मेरा हर नाता है
फिर भी दिल में क्यूँ कुछ चुभता है
कैसा है ये अपराध-बोध प्रिये...
© abhishek trehan




 ♥️ Challenge-593 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

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दिल के टूटे टुकड़े हैं
जाऊँ मैं अब किस ओर प्रिये
कोई यहाँ गिरा,कोई वहाँ गिरा
हुआ कहाँ कोई बोध प्रिये

ऊँगलियों से बनी कोई मुट्ठी है
मुट्ठी में छिपी कोई रेखा है
उस रेखा को किस्मत कहते हैं
क्यूँ लिखे इतने अवरोध प्रिये

माना ये जीवन नश्वर है
नश्वर से जुड़ा मेरा हर नाता है
फिर भी दिल में क्यूँ कुछ चुभता है
कैसा है ये अपराध-बोध प्रिये...
© abhishek trehan




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