Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी इन रास्तों पर भी चलकर देखो। कभी अपनों के हाथो

 कभी इन रास्तों पर भी चलकर देखो।
कभी अपनों के हाथों छलकर देखो।।

ये रास्ते बिल्कुल शान्त से हो गए हैं,
पुनः इन रास्तों पर निकल कर देखो।।

ऐसे रास्तों पर तुम भीड़ नहीं पाओगे,
सैद्धांतिक रास्ते हैं ये, तुम जरा चलकर देखो।।

इन रास्तों पर जो भी मिलेगा अद्भुत होगा,
उठो, जागो, चलो और उससे मिलकर देखो।।

©मनोज कुमार झा "मनु"
  कभी अपनों के हाथों ....

कभी अपनों के हाथों .... #कविता

318 Views