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दर्द देकर डँस गया है, मेरे मन में बस गया है,

दर्द  देकर  डँस  गया है,
मेरे  मन  में बस गया है, 

भावनाओं  के  भँवर  में,
ज़िस्म सारा फँस गया है,

बच  गई  तूफ़ाँ में कश्ती,
तो  किनारा  धँस गया है,

जो  कभी  ख़्वाबों में था,
हृदय  में रच-बस गया है,

जहर  शब्दों  में  घुला था,
फैल अब नस-नस गया है,

भुलाकर    नेकी   भलाई, 
साथ  ले  अपयश गया है,

कोई  जादूगर  था 'गुंजन',
तन-बदन को कस गया है, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #तन-बदन को कस गया है#
दर्द  देकर  डँस  गया है,
मेरे  मन  में बस गया है, 

भावनाओं  के  भँवर  में,
ज़िस्म सारा फँस गया है,

बच  गई  तूफ़ाँ में कश्ती,
तो  किनारा  धँस गया है,

जो  कभी  ख़्वाबों में था,
हृदय  में रच-बस गया है,

जहर  शब्दों  में  घुला था,
फैल अब नस-नस गया है,

भुलाकर    नेकी   भलाई, 
साथ  ले  अपयश गया है,

कोई  जादूगर  था 'गुंजन',
तन-बदन को कस गया है, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #तन-बदन को कस गया है#