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पिपासु राजनीति का चरित्र शस्त्र है। स्वदेश

पिपासु   राजनीति   का  चरित्र    शस्त्र है।
स्वदेश  की अशांति  का अमोघ  अस्त्र है।।
उडा    रहे   दुराग्रही   कपोत    श्वेत   क्यों-
छिपा  रही   विषाक्त  ढाल  श्वेत  वस्त्र है।।

उठा    रहे  भुजंग   शीश   आसतीन   के।
निगाह  आँख  में जमी  अभीष्ट  मीन के।।
कहानियाँ   सुना   रहे   विशुद्ध   बुद्ध की।
जिन्हें  पता  नहीं  अशांत  भाव  दीन के।।

©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar #maharanapratap
पिपासु   राजनीति   का  चरित्र    शस्त्र है।
स्वदेश  की अशांति  का अमोघ  अस्त्र है।।
उडा    रहे   दुराग्रही   कपोत    श्वेत   क्यों-
छिपा  रही   विषाक्त  ढाल  श्वेत  वस्त्र है।।

उठा    रहे  भुजंग   शीश   आसतीन   के।
निगाह  आँख  में जमी  अभीष्ट  मीन के।।
कहानियाँ   सुना   रहे   विशुद्ध   बुद्ध की।
जिन्हें  पता  नहीं  अशांत  भाव  दीन के।।

©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar #maharanapratap