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जब भी कभी एकांत में बैठ, कुछ लिखने की सोचता हूं क

जब भी कभी
एकांत में बैठ,
 कुछ लिखने की सोचता हूं
कलम उठातें ही
याद आ जाती हो तुम ।

तुमसे कुछ अलग लिखूं
हर रोज़ यही सोच उठता हूं
लेकिन अब क्या करूँ ? 
जब भी कुछ लिखने की सोचता हूं
याद आ जाती हो तुम ।

अब हर बार प्रयास कुछ अलग होता है
लेकिन क्या करूँ ,ख्याल तुम्हारा होता है
लिख तो दु कुछ तुमसे अलग
लेकिन क्या करूँ ,जब-जब कलम उठता हूं 
याद आ जाती हो तुम । 
             
                - बद्रीनाथ #nijoto#nojotopoem#nojotokavita#TumAurKavita #mrbnp My_Words✍✍ Gopal Kumar संजय श्रीवास्तव Soumen Kundu Kajal Singh 

तुम और कबिता

जब भी कभी
एकांत में बैठ,
 कुछ लिखने की सोचता हूं
कलम उठातें ही
जब भी कभी
एकांत में बैठ,
 कुछ लिखने की सोचता हूं
कलम उठातें ही
याद आ जाती हो तुम ।

तुमसे कुछ अलग लिखूं
हर रोज़ यही सोच उठता हूं
लेकिन अब क्या करूँ ? 
जब भी कुछ लिखने की सोचता हूं
याद आ जाती हो तुम ।

अब हर बार प्रयास कुछ अलग होता है
लेकिन क्या करूँ ,ख्याल तुम्हारा होता है
लिख तो दु कुछ तुमसे अलग
लेकिन क्या करूँ ,जब-जब कलम उठता हूं 
याद आ जाती हो तुम । 
             
                - बद्रीनाथ #nijoto#nojotopoem#nojotokavita#TumAurKavita #mrbnp My_Words✍✍ Gopal Kumar संजय श्रीवास्तव Soumen Kundu Kajal Singh 

तुम और कबिता

जब भी कभी
एकांत में बैठ,
 कुछ लिखने की सोचता हूं
कलम उठातें ही