जब भी कभी एकांत में बैठ, कुछ लिखने की सोचता हूं कलम उठातें ही याद आ जाती हो तुम । तुमसे कुछ अलग लिखूं हर रोज़ यही सोच उठता हूं लेकिन अब क्या करूँ ? जब भी कुछ लिखने की सोचता हूं याद आ जाती हो तुम । अब हर बार प्रयास कुछ अलग होता है लेकिन क्या करूँ ,ख्याल तुम्हारा होता है लिख तो दु कुछ तुमसे अलग लेकिन क्या करूँ ,जब-जब कलम उठता हूं याद आ जाती हो तुम । - बद्रीनाथ #nijoto#nojotopoem#nojotokavita#TumAurKavita #mrbnp My_Words✍✍ संजय श्रीवास्तव तुम और कबिता जब भी कभी एकांत में बैठ, कुछ लिखने की सोचता हूं कलम उठातें ही