जज़्बात मोहब्बत के दिल भूल गया है शायद , बेहिस मेरा दिल मुझ में दफ़्न पड़ा है शायद । मोहब्बत के नाम पर लूटते देखी है अस्मत , उस वहशत से दिल बुरी तरह डरा है शायद । अपने ही हाथों मैं क़त्ल कर बैठा हूं खुद को , इस बात पे एक शख़्स बहुत रूठा है शायद । उसके आने पर मेरी लाश भी सांस लेने लगी , वो इंसां नहीं ख़ुदा का कोई मसीहा है शायद । उसे देख क़ब्र से निकल चलने लगा था कोई , वो ज़िंदगी को रोशनी देता सितारा है शायद । शायद #dilsee_ #NojotoMumbai4 #OpenMic #Nojoto #Mumbai #Poetry #Poetess #Mumbai #Words